मैनपुरी के मूल निवासी रविन्द्र सिंह हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति के रूप में एक लाख 37 हजार सात सौ 78 मुकदमों के निस्तारण का रिकार्ड बनाने के लिए चर्चित हुए थे।
सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट नामित
न्यायमूर्ति रविन्द्र सिंह को सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट नामित हो गए हैं। इससे वह सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में वरिष्ठ जजों की कमेटी हाईकोर्ट के जज पद से रिटायर व्यक्ति को सीनियर एडवोकेट नामित करती है। कमेटी के एक सदस्य की आपत्ति पर सीनियर एडवोकेट नामित नहीं किया जा सकता। रविन्द्र सिंह ने बताया कि वह स्वतंत्र रूप से सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करेंगे। सीनियर एडवोकेट नामित होने का लाभ यह है कि वह जजों की भांति ड्रेस पहन सकेंगे। सामान्य अधिवक्ताओं की श्रेणी से एक श्रेणी ऊपर माना जाएगा।
बनाया अनोखा रिकॉर्ड
जस्टिस रविंद्र सिंह यादव ने अपनी टेन्योर के दौरान एक अनोखा रिकॉर्ड भी बनाया है।
- उन्होंने साल 2009-10 के दौरान एक साल के समय में लगभग 30 हजार केस डिसाइड किए थे।
- हालांकि यह रिकॉर्ड कहीं दर्ज न हो सका। क्योंकि गिनीज बुक ऑफ रिकार्ड और लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में नाम जाने के लिए जरूरी है कि जिस संस्था में काम करते हैं उसकी तरफ से प्रपोजल जाए।
- लेकिन किन्हीं कारणों के चलते हाईकोर्ट की तरफ से यह लेटर नहीं जा सका।
- अपनी इस कार्यशैली के चलते जस्टिस रविंद्र सिंह यादव इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों में खासे लोकप्रिय भी हुए।
कौन हैं जस्टिस रविंद्र सिंह यादव
- जस्टिस रविंद्र सिंह यादव का जन्म दो जुलाई 1953 को मैनपुरी में हुआ था।
- साल 1977 में एलएलबी की पढ़ाई इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पूरी की। उन्होंने बतौर एडवोकेट अपना रजिस्ट्रेशन 21 दिसंबर 1978 को कराया था।
- इसके बाद वे तब से बतौर क्रिमिनल लॉयर काम करते रहे। इस दौरान वे सरकारी वकील और एडिशनल एडवोकेट जनरल भी बने।
- इन्हें 24 सितम्बर 2004 को बार से बेंच में एलिवेट करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज बनाया गया। जस्टिस यादव ने 18 अगस्त 2005 को बतौर इलाहाबद हाईकोर्ट के परमानेंट जज के रूप में शपथ ग्रहण की थी।
- बतौर हाईकोर्ट जज उनकी रिटायरमेंट एक जुलाई 2015 को हुई।
Justice Ravindra Singh yadav
2 july, 1953
Agra University, Allahabad Bank
Uttar Pradesh